IMD Weather: गर्मी की तपिश झेल रहे राज्यों को जल्द ही इससे राहत मिल सकती है। इस बार मानसून समय से पहले आ सकता है और भारी बारिश की भी संभावना है। हालांकि मौसम विभाग ने इस संबंध में अपनी भविष्यवाणी नहीं की है, लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक, हिंद महासागर डायपोल और ला नीना स्थितियों के एक साथ सक्रिय होने से इस साल मानसून जल्दी आ सकता है।
ये सीमा संबंधी घटनाक्रम देश के कई हिस्सों में संभावित भारी वर्षा के साथ मजबूत मानसून की स्थिति पैदा कर रहे हैं। Media रिपोर्ट के अनुसार, ला नीना (La Nina) प्रभाव एक आवर्ती मौसम घटना है जो मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के तापमान को औसत से अधिक ठंडा कर देती है और हिंद महासागर डिपोल और हिंद महासागर में समुद्र की सतह के तापमान में उतार-चढ़ाव का कारण बनती है।
IMD Weather: समय से पहले मानसून आने का कारण
यह अनुमान लगाया गया है कि ये परस्पर जुड़ी गतिशीलता दक्षिण-पश्चिम मानसून को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेगी। अधिकांश मौसम मॉडल विषुवतीय हिंद महासागर पर एक सकारात्मक IOD चरण का सुझाव देते हैं जो प्रशांत क्षेत्र में ला नीना के गठन के साथ मेल खाता है। मानसून की पृष्ठभूमि में इन घटनाओं का एक साथ अस्तित्व यह संकेत देता है कि ये कारक आमतौर पर जुलाई से सितंबर तक अनुभव की जाने वाली चरम मानसून स्थितियों को बढ़ा सकते हैं।
उभरती हुई ला नीना स्थितियों और IOD घटना का अवलोकन मुख्य मानसून अभिसरण क्षेत्र में पश्चिम की ओर बदलाव की ओर इशारा करता है। इससे भारतीय समुद्र तट से दूर अरब सागर से फीडबैक शुरू होता है, जिससे बड़े पैमाने पर ऊपर की ओर गति होती है जो प्रचलित मानसून प्रणाली का समर्थन करती है, जिससे पूरे मौसम में वर्षा में वृद्धि होती है।
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ला नीना के बारे में स्काईमेट ने क्या कहा?
वहीं, स्काईमेट के प्रबंध निदेशक जतिन सिंह के मुताबिक, ‘अल नीनो तेजी से ला नीना में बदल रहा है और ला नीना से जुड़े वर्षों के दौरान मानसून परिसंचरण मजबूत हो जाता है।’ आईएमडी के अधिकारियों ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि मौसम के उत्तरार्ध में अनुकूल मानसून से जुड़ी ला नीना स्थितियां भारत में स्थापित होने की संभावना है।
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