Big Breaking News on Minimum Support Price वर्ष 2024 के अंतर्गत उत्तराखंड खाद्य विभाग की ओर से गेहूं की खरीद प्रारंभ हो चुकी है। संपूर्ण उत्तराखंड में कुल 270 केंद्र बनाए गए हैं जिसमें कुमाऊं मंडल के 205 और गढ़वाल मंडल के 65 केंद्र संचालित किया जा रहे हैं। इन 270 केंद्रों में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद शुरू हो चुकी है।
पाठकों की जानकारी के लिए बता दें इस बार सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य अर्थात minimum support price 2275 निर्धारित किया गया है और इसी दाम पर अब उत्तराखंड के 270 केंद्रों में गेहूं की खरीदी शुरू की जा चुकी है।
Big Breaking: MSP दरों पर खरीदा जा रहा गेंहू
जैसा कि हम सब जानते हैं प्रत्येक वर्ष खरीफ फसल की बुवाई से पहले गेहूं की फसल बेची जाती है।हर बार फसल की बिक्री से पहले सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारण करती है। इस वर्ष गेंहूँ का न्यूनतम समर्थन मूल्य 150 रुपए से बढ़ा दिया गया है जिससे समर्थन मूल्य 2125 रुपए से 2275 पर पहुंच गया है।
अब वर्ष 2024 के अंतर्गत संपूर्ण उत्तराखंड में खाद्य विभाग की ओर से गेहूं की खरीदी प्रारंभ हो चुकी है । माना जा रहा है कि इस बार करीबन 50000 मेट्रिक टन के गेहूं खरीदी का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। ऐसे में किसानों को गेहूं की बिक्री पर न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा जिससे किसानों को निश्चित रूप से फायदा होगा।
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पंजीकृत किसान बेच रहे 2275 रुपये प्रति क्विंटल गेंहू
पाठकों की जानकारी के लिए बता दें संपूर्ण देश में msp दरों पर फसल बेचने के लिए किसानों द्वारा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया प्रारंभ की जाती है। संपूर्ण रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया से गुजरने के पश्चात किसान msp दरों पर गेहूं की फसल बेच सकते हैं । ऐसे में उत्तराखंड में फरवरी के माह से ही रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी और 25 फरवरी 2024 तक रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया की अंतिम तिथि निर्धारित कर दी गई थी ।
इस दौरान उत्तराखंड के लगभग सभी किसानों ने पंजीकरण प्रक्रिया पूरी कर दी है। इस पंजीकरण प्रक्रिया के अंतर्गत सभी किसानों का लैंड बुक,आधार कार्ड, बैंक पासबुक आपस में लिंक होना बेहद जरूरी है । इसके साथ ही सभी किसानों के पास में जमीन से जुड़े सारे जरूरी दस्तावेज भी होने आवश्यक है।
किसानों को 70 दिनों में भेजी जाएगी रकम
वे सभी किसान जो इस रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को पूरा कर चुके हैं अब वह उत्तराखंड में msp दरों से गेहूं की फसल बेच रहे हैं। जानकारी के लिए बता दे फसल की बिक्री के पश्चात किसानों के खाते में सरकार द्वारा डीबीटी के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधार पर बेची गई फसल की कीमत का भुगतान किया जाता है जिसके अंतर्गत यह ध्यान रखा जाता है कि किसी भी किसान को इस पूरी प्रक्रिया के दौरान नुकसान ना हो और उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधार पर निश्चित रूप से भुगतान किया जाए।
सम्पूर्ण उत्तराखंड में 270 msp फसल खरीद केंद्र संचालित
संपूर्ण उत्तराखंड के 270 केंद्रों में शुरू हुई यह गेहूं की बिक्री अप्रैल से शुरू होकर जून के माह तक चलेगी । ऐसे में सरकार ने यह निश्चय कर लिया है कि अब किसानों को फसल बेचने के 72 घंटे के भीतर भुगतान कर दिया जाएगा । वही इस वर्ष गेहूं के msp को 150 रुपए से बढ़ा दिया गया है जिससे किसानों को निश्चित रूप से लाभ होगा।
जैसा कि हम सब जानते हैं संपूर्ण भारत में मार्च के महीने से गेहूं की कटाई शुरू हो जाती है। वैशाख में फसल की कटाई होने के पश्चात किसान इस फसल को बाजार में बेच देते हैं । ऐसे में फसल को बेचने के बाद ही किसान होने वाली आय के आधार पर अगली फसल की बुवाई शुरू करते हैं। कुल मिलाकर रबी की फसल बेचने के पश्चात किसान खरीफ फसल की बुवाई शुरू करते हैं ।
इसी के अंतर्गत हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने गेहूं की msp को बढ़ाने का निर्णय लिया था और इसी बढ़ी हुई msp से 1 अप्रैल 2024 से गेहूं की बिक्री संपूर्ण उत्तराखंड के 270 केंद्रों में शुरू हो चुकी है।
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50,000 मिट्रिक टन की खरीद करेगी सरकार
बिक्री के साथ ही सरकार स्टोरेज क्षमता बढ़ाने पर भी विचार कर रही है। किसानों द्वारा खरीदे गए इस गेहूं को सरकार सरकारी स्टोरेज हाउस में स्टोर करती है और फिर खाद्य वितरण प्रणाली के अंतर्गत यह फसल बेची जाती है अथवा राशन कार्ड राशन केंद्रों पर नागरिकों में वितरित की जाती है।
ऐसे में इस वर्ष सरकार उम्मीद लग रही है कि किसानों से 50000 मेट्रिक टन जितना गेहूं खरीदा जाएगा और उसे सरकारी स्टोरेज हाउस में सुरक्षित रखा जाएगा जिससे लोगों तक बेहतर गुणवत्ता वाला गेहूं पहुंच सके वही साथ ही साथ किसानों को भी इसी प्रकार का नुकसान न झेलना पड़े।
निष्कर्ष :-
संपूर्ण उत्तराखंड में 270 केंद्र होने के पश्चात भी किसान msp केंद्रों पर फसल बेचने नहीं पहुंच रहे हैं इसका मुख्य कारण बताया जा रहा है कि बाजार में इससे अधिक दाम पर गेहूं खरीदा जा रहा है, जिसकी वजह से किसान केंद्रों में आकर गेहूं बेचने की जगह बाजार में ज्यादा दम पर गेहूं बेचना पसंद करते हैं।
हालांकि यह बिक्री प्रक्रिया अभी हाल ही में शुरू हुई है जो जून तक चलेगी ऐसे में देखना यह होगा कि अगले कुछ समय में क्या किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने केंद्रों पर आते हैं जिससे सरकार द्वारा 50000 मेट्रिक टन का लक्ष्य पूरा होगा या नहीं।
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